Natural disasters

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           प्राकृतिक आपदाएं

              प्रकृति ने हम पर अत्याधिक उपकार किए हैं ।इसने हमें खाने के लिए भोजन, रहने के लिए घर तथा शरीर ढकने के लिए वस्त्र प्रदान किए हैं। परंतु कभी-कभी यह ममतामई एवं दयालुता की मूर्ति प्रकृति कुपित होकर एक भयंकर रूप धारण कर लेती है। जिससे मानव त्राहि-त्राहि कर उठता है। प्रकृति हमारे लिए अनेक प्रकार के कष्ट तथा आपदाएं लेकर आती है जैसे कि भूकंप, बाढ़, चक्रवात भू-संकलन, सूखा तथा सुनामी जो कि उसके क्रोध के परिचायक हैं ।इसे देखकर मनुष्य का अंह तथा शक्ति रुपी दर्प चूर-चूर हो जाता है। 

             प्राकृतिक आपदाएं क्या है? प्राकृतिक आपदाएं पर्यावरण में आने वाले परिवर्तन है जो मनुष्य का विनाश लेकर आते हैं। हमारे देश में बहुत ही प्राकृतिक आपदाएं पर्यावरण के परिवर्तन के कारण होती हैं।

             हिमालय में इंडो-गंगा मैदानी क्षेत्रों में भूकंप आते हैं मैदानी क्षेत्रों में कभी बाढ़ आती है तथा कभी सूखा पड़ता है। इन आपदाओं के कारण जान तथा माल की अत्याधिक हानि होती है तथा हमारा पर्यावरण भी दूषित हो जाता है।

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      भूकंप

             भूकंप- पृथ्वी की परत में हलचल के कारण आते हैं। यह अचानक से आ जाते हैं। भूकंप क्यों आते हैं ?इसके विषय में विभिन्न विद्वानों के विभिन्न मत दिए हैं। अब भूगर्भ शास्त्रियों का विचार है कि धरती के तरल पदार्थ जब तीव्र गति से फैलने लगते हैं, तो पृथ्वी हिल जाती है। कभी-कभी ज्वालामुखी फटने से भी भूकंप आ जाते हैं। धर्माचार्यों का यह विचार है कि जब पृथ्वी पर आनाचार तथा अत्याचार बढ़ जाते हैं तो पृथ्वी पर देवी प्रकोप के कारण भूकंप आते हैं ।इसके आने का कारण कुछ भी हो परंतु भूकंप आने से बड़े-बड़े भव्य भवन धराशाई हो जाते हैं। सहस्त्रों लोग मलबे के नीचे दब जाते हैं, दम घुटने से उनमें से बहुत से लोगों की मृत्यु हो जाती है तथा अनेक घायल हो जाते हैं। उनके मृत शरीरों को बाहर निकालने के लिए जमीन की खुदाई करनी पड़ती है। यातायात के साधन नष्ट हो जाते हैं। कई बार रात को सो रहे होते हैं तथा अचानक भूचाल आ जाता है। ऐसा भूचाल अत्यंत भयानक सिद्ध होता है ।

              26 जनवरी, 2001 की सुबह को कौन भूल सकता है ?उस दिन हम सभी गणतंत्र दिवस मना रहे थे। गुजरात में एक भूचाल आया जिसमें सारे देश को हिला कर रख दिया। इस भूचाल में हजारों लोगों की मृत्यु हो गई तथा बहुत से लोग घायल हो गए। सड़कें ,पुल तथा बड़े-बड़े भवन नष्ट हो गए। जान तथा माल का  अत्याधिक  नुकसान हुआ ।गुजरात के दो शहर अहमदाबाद और भुज सबसे अधिक प्रभावित हुए ।लोगों को इस घटना से गहरा आघात पहुंचा ने प्रभावित क्षेत्रों की ओर दौड़े तथा बहुत से लोगों के प्राणों की रक्षा की। सरकारी तथा अंतरराष्ट्रीय संगठन जैसे कि संयुक्त राष्ट्र संघ तथा रेडक्रास ने आपदाओं से गिरे लोगों की बहुत सहायता की।

      बाढ़

              बाढ़ -भारी वर्षा अथवा बर्फ पिघलने से जब नदियों का जलस्तर ऊपर उठ जाता है तो बाढ़ आ जाती है। तटीय क्षेत्रों में ज्वार भाटा आने के कारण समुद्र में तूफान आ जाता है जिस कारण बाढ़ आती है। बांधों के गिरने से भी बाढ़ आती है ।जंगलों को काटना भी बाढ़ का एक मुख्य कारण है ।जब नदी का जल अपने किनारों से बाहर आ जाता है तो उसके आसपास के कुछ क्षेत्र पानी में डूब जाते हैं। बाढ़ के कारण जान तथा माल की अत्याधिक हानि होती है। गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियों के कारण भारत में सबसे अधिक बाढ़ आती है।

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      सूखा पड़ना

             सूखा पड़ना -उस समय जब वर्षा बहुत कम अथवा बिल्कुल भी नहीं होती ।पृथ्वी झुलस जाती है तथा शुष्क पड़ जाती है। फसलें बिल्कुल भी नहीं होती। जल तथा भोजन की कमी होने के कारण लोग भूख से मरने लगते हैं ।पशु भी पानी तथा चारे की कमी के कारण मरने लगते हैं। सूखा साधारणतया पंजाब ,हरियाणा, राजस्थान तथा महाराष्ट्र में पड़ता है।

       भू संखलन

       भू संखलन -हिमालय के पहाड़ी क्षेत्रों में भू-संकलन अकसर होते हैं ।जब चट्टान का बड़ा सा टुकड़ा पहाड़ से नीचे गिरता है। इसे भू संकलन कहते हैं। इससे भी जान का नुकसान हो सकता है।

      चक्रवात

            चक्रवात -तटीय क्षेत्रों में चक्रवात अत्याधिक मात्रा में आते हैं। चक्रवात के साथ शक्तिशाली पवनें चलती है, वर्षा होती है तथा समुद्र में तूफान आ जाता है। तीव्र पवनें पेड़ तथा खमभे उखाड़ देती हैं, समुंदर के पानी को भी भूमि पर ले आती हैं ,जिससे बाढ़ आती है ।कई बार तूफान के कारण बिजली तथा संचार व्यवस्था तहस-नहस हो जाती है। भारी गिनती में मनुष्य तथा पशुओं का नुकसान होता है तथा मकान नष्ट हो जाते हैं। आंध्रप्रदेश के तट पर मई 1990 में एक तीव्र तूफान आया। इस तूफान में बहुत से लोग तथा पशु मारे गए ।लाखों घर नष्ट हो गए। खेती वाली जमीन भी नष्ट हो गई ।अक्टूबर 1999 में उड़ीसा के तट पर एक भीषण चक्रवात आया ।कई लोग तथा जीव जंतु मारे गए ।लाखों एकड़ भूमि कृषि योग्य जमीन नष्ट हो गई ।इन प्राकृतिक आपदाओं का मुकाबला करने के लिए हमें कुछ सावधानियां अपनानी होंगी।

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      जंगलों में आग

       जंगलों में आग -एक और प्राकृतिक आपदा है -जंगलों में आग लग जाना। ऐसा मनुष्य की लापरवाही के कारण होता है ।लकड़हारे तथा शिकारी चोरी-छिपे जंगल में प्रवेश करके इसके पेड़ पौधों तथा जीव जंतुओं को नष्ट करते हैं ।वह बीड़ी ,सिगरेट पीते हैं तथा इसके  जलते हुए टुकड़े जंगल में फेंक देते हैं ।इस से जंगल में आग लग जाती है। कई बार बिजली गिरने से भी जंगल में आग लग जाती है ।जंगल में ऊंचे ऊंचे पेड़ों पर बिजली गिरती है तथा वे आग पकड़ लेते हैं। यदि जंगल के अंदर से बिजली की तारे निकल रही हो तो कई बार शॉर्ट सर्किट होने के कारण भी आग लग जाती है।

                जंगल की आग बड़ी खतरनाक होती है। इससे बहुमूल्य पेड़ -पौधे नष्ट हो जाते हैं। वनस्पति समूह तथा प्राणी समूह को कभी न पूरा होने वाला नुकसान हो जाता है ।कई जीव जंतु आग की लपेट में आकर मर जाते हैं। उनके प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाते हैं। जीव जंतुओं की कुछ एक दुर्लभ जातियां विलुप्त हो जाती हैं। इस प्रकार प्रकृति का संतुलन भंग हो जाता है। इससे पर्यावरण भी प्रदूषित हो जाता है।

               आज का युग विज्ञान का युग है परंतु ऐसा लगता है कि जैसे विज्ञान देवी प्रकोप के सामने विवश है। इन देवी आपदाओं के कारण देखते- देखते ही प्रलय का विकराल एवं संहारक दृश्य उपस्थित हो जाता है ।ईश्वर की इच्छा के आगे सभी विवश हो जाते हैं -

           "होई सोई जो राम रचि राखा।"

            इसलिए मनुष्य को कभी भी अपनी शक्ति एवं बुद्धि पर  तनिक सा भी अभिमान नहीं करना चाहिए। उसे प्रकृति तथा उस परमपिता परमात्मा की परम सतता के आगे सदैव नतमस्तक रहना चाहिए ।ईश्वर की कृपा एवं आशीर्वाद ही मानव जाति को इन देवी आपदाओं से बचा सकते हैं।

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